Wednesday 25 July 2018

तू बहुत याद आती है

Written By :
Brijesh Vishwakarma

आसमां में जैसे रहता है चाँद,
वैसे ही मेरे दिल में तू रहती है।
किसी से कुछ कहें ना कहें,
पर तेरी आँखे मुझसे सबकुछ कहती हैं।
तू जो संग होती है मेरे,
तो सारा जहाँ संग होता है।
रोशन होती हैं सभी दिशायें जैसे तुझसे ऐ पूनम के चाँद,
इस नाचीज की दुनिया भी तुझसे वैसे ही रोशन होती है।
तू हंसती है जब,
तो लगता है जैसे चाँद खिलता हो।
तू मुझसे रूठती है,
जैसे आसमां में चाँद छुपता है।
जब मैं तुझे मनाता हूँ,
तू नजाकत से नजरें झुकाती है।
तू लजाती है, शर्माती है,
मेरे आगोश में फिर तू आ जाती है।
आकाश में चाँद जब रोशन होता है,
तू बहुत याद आती है।
तू बहुत याद आती है।

Thursday 19 July 2018

ll पिता जनेगा बेटी ll

Written By :
Brijesh Vishwakarma

हे विधाता,
स्त्री की कोख सूनी रखना,
पर पुरुष की कोख से ही कन्या जनना।
जब 9 माह कन्या पुरुष की कोख में होगी,
तब पुरुष की नीयत खराब ना होगी।
जब सहेगा तू प्रसव पीड़ा,
तब ना करेगा घृणित क्रीडा।
जब करेगा तू अपनी कन्या को दुलार,
तब ना कर पाएगा तू बलात्कार।
जब सुनाएगा तू बिटिया को लोरी,
तब ना करेगा तू स्त्री संग जोराजोरी।
जब रातों को जागकर बिटिया को सुलाएगा,
तब ना स्त्री के साथ तू दुराचार कर पाएगा।
जब बेटी की तू चोटी बनाएगा,
तब ना स्त्री संग दुष्कर्म कर पाएगा।
जब होगी बेटी तेरे लिए आईना,
तब ना मन में जगेगी तेरे अश्लील भावना।
जब बांधना सिखाएगा बिटिया को साड़ी,
तब कैसे अत्याचार कर पाएगा दुराचारी।
जीवन के मोड़ में यह अजब मंजर पेश होगा,
पिता जनेगा बेटी,
तब कभी बलात्कार ना होगा।
तब कभी बलात्कार ना होगा।

Tuesday 17 July 2018

क्यों औरत का मान भंग करता जाता है?

जब तू पैदा हुआ था,
एक औरत के लहू से तू लिपटा हुआ था।
अब तेरी हवस के लिए,
एक औरत लहू से लिपटी हुई है।
जन्मा तू औरत की योनि से,
उसका ही स्तनपान किया।
अपनी हवस के लिए,
इन्हीं अंगो का तूने ना मान किया।
घृणा को तूने अंजाम दिया,
इन अंगो को पाने में जब तू नाकाम हुआ।
स्त्री को मर्यादा का पाठ पढ़ाया,
फिर बलात्कार और हत्या करके,
वाह रे पुरुष,
तूने मर्दाना का बहुत बढ़िया जौहर दिखाया।
विध्वंश होना चाहिए,
तेरे अश्लीलता युक्त विचारों का।
अरे ओ पुरुष-
क्यों खुद को पुरुष कहलाता है,
हर वक्त तो तू औरत के आबरू पर नजरें गड़ाता है।
वह भी तो एक औरत थी,
जिसने जन्मा तुझे।
बड़े होकर यह बात क्यों भूल जाता है,
क्यों बार-बार औरत का मान भंग करता जाता है?
क्यों बार-बार औरत का मान भंग करता जाता है?

Written by :
Brijesh Vishwakrma

Saturday 14 July 2018

क्यों माँ तन्हा रह जाती है?

Written By:
Brijesh Vishwakarma

ममता की मूरत,
तू माँ है।
तेरी अद्भुत है सूरत,
तू माँ है।
और तुझे क्या नाम दूं ,
माँ तू तो बस माँ है।
जब तू कोख से होती है,
मगन मन ही मन होती है।
तू इतनी पीड़ा सहती है,
तब जाकर कहीं तेरी सूनी गोद भरती है।
बच्चे को जब गोद में उठाती है,
उसे जी भर दुलारती है।
खुद ही माँ तू पलती है,
और बच्चो को भी पालती है।
खुद भूखी रह कर भी,
तू बच्चे को दूध पिलाती है।
बच्चे को साथ सुलाती है,
राते जाग जाग बिताती है।
बिस्तर गीला रहता है,
पर बच्चे को सूखे बिस्तर सुलाती है।
खुद सूरज में तपती है,
बच्चे को अपने आंचल में रखती है।
खुद मजदूरी कर लाती है,
पर बच्चे को बहुत पढ़ाती है।
माँ तुझे पालती है,
माँ तुझे दुलारती है,
माँ तुझे सुधारती है,
अपना सारा प्यार तुझ पर लुटाती है।
पर जब माँ का बुढ़ापा आ जाता है,
क्यों माँ तन्हा रह जाती है?
क्यों माँ तन्हा रह जाती है?

Sunday 1 July 2018

ब्रिजेश की कलम से

मेरे दिल की हसरत है इस जालिम जमाने से छुपा लूँ तुझको,
धड़कन की तरह दिल में बसा लूँ तुझ को|
कोई एहसास जुदाई का न रह पाये,
इस तरह खुद में मेरी जान छुपा लूँ तुझको|
तू जो रूठ जाये मुझ से मेरे दिल की मालिक,
सारी दुनिया से खफा हो कर मना लूँ तुझको|
जब मैं देखूं तेरे चेहरे पे उदासी का समा,
बस यह चाहूँ किसी तरह हंसा लूँ तुझको|
तू कभी जब दुनिया से बेज़ार हो जाये ,
दिल यह चाहे की बाहों में छुपा लूँ तुझ को|

Justice for Divya

Justice for Divya
Written by: 
BRIJESH VISHWAKARMA

७ वर्ष की दिव्या संग बलात्कार हुआ,
सुनकर यह खबर देश शर्मसार हुआ।
डिजिटल इंडिया के सपने देख रहे हैं इन आँखों से,
देख कर ये भविष्य पीड़ा और भय आपार हुआ।
७ वर्ष की दिव्या संग बलात्कार हुआ,
सुनकर यह खबर देश शर्मसार हुआ।
अभी तो यह अपने माई बाबा की उंगली पकड़ कर ही चलती थी,
अभी तो यह अपने माई बाबा की लाडली ही थी।
उसी नन्हे जिस्म पर अत्याचार हुआ,
७ वर्ष की दिव्या संग बलात्कार हुआ।
पढ़ना लिखना सब बेकार हुआ,
जिस क्षण ऐसा दुराचार हुआ।
७ वर्ष की दिव्या संग बलात्कार हुआ,
सुनकर यह खबर देश शर्मसार हुआ।
छोटी सी बच्ची की इज़्ज़त का सौदा हुआ,
मानवता में एक नया ज़ख़्म पैदा हुआ।
मानवता का पल पल अपमान हुआ,
नारी का यह कैसा सम्मान हुआ।
७ वर्ष की दिव्या संग बलात्कार हुआ,
सुनकर यह खबर देश शर्मसार हुआ।

-ब्रिजेश विश्वकर्मा

उड़ान

जब हौसला बना लिया ऊँची उड़ान का, फिर देखना फिज़ूल है कद आसमान का। पंख नही तो गम नही इस अज़ाब का, हौसले से संभव है सफर आसमान का। तेज आँधी आय...