Tuesday 25 September 2018

अर्जुन की दास्तान


Written By :
Brijesh Vishwakarma
सब कह रहें हैं देश डिजिटल बन रहा है,
देश प्रगति कर रहा है।
पर अर्जुन तो आज भी पूरा दिन,
सिलाई करके अपना पेट भर रहा है।
होगा देश सबसे बलवान,
होगा देश सबसे धनवान।
पर इन दयनीय स्थिति को देखते हुए,
प्रश्न चिन्ह लगता है इस वाक्य पर-
"भारत देश है सबसे महान"।
लोग मंगल पर आशियाने बनाने की ताक में हैं,
पर अर्जुन से पूछो जो आज भी,
एक छोटा सा घरौंदा बनाने की आश में है।
हमारे देश में बुलेट ट्रेन आनी है,
पर अर्जुन की जिंदगी तो ग्यारह नंबर बस से ही गुजर जानी है।
अर्जुन गरीब है,
लोगों को दिखता भी है।
उसका दर्द,
इस देश में बिकता भी है।
वो गरीब तो है साहिब,
पर उसके पास कोई कागजी सबूत नहीं,
अपनी गरीबी का।
गरीबी का प्रमाण लेने जब वो जाता है,
तब सरकारी अफसर उसे गोल गोल घुमाता है।
जो अर्जुन दिन रात कपडे सिल कर भी,
अपने परिवार की जरूरत पूर्ण करने में असमर्थ रह जाता है।
इतनी मोटी तनख्वाह खाने के बाद भी यह अफसर,
उस गरीब से क्यों पैसे कमाता है।
क्या करें अर्जुन कहाँ से लायेगा,
अब घूस देने को पैसे।
इससे बेहतर अर्जुन भला,
और उसकी सिलाई मशीन भली।
एक बात और कहूँगा,
यह मत सोचना अर्जुन कमजोर है।
अर्जुन की बाजुओं में,
आपसे ज्यादा जोर है।
उसके लिए तो,
सरकार की सारी योजनायें बेकार है।
क्यों कि उसके जीवन का,
वो स्वयं आधार है।
ऐसा नहीं है अर्जुन तरक्की नहीं कर रहा है,
पर उसकी आमदनी से चौगुनी रफ्तार से,
खर्चा बढ़ रहा है,
महंगाई बढ़ रही है।
उसकी जिंदगी जहाँ थी,
आज भी वहीं है।
दुनिया चाँद सितारों पर जाकर बस जाएगी,
पर उसकी तरफ किसी की नजर नहीं जाएगी।
हमारे देश में एक अर्जुन भी बाकी है जब तक,
तब तक मत कह देना देश तरक्की कर रहा है।

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