Sunday 1 July 2018

ब्रिजेश की कलम से

मेरे दिल की हसरत है इस जालिम जमाने से छुपा लूँ तुझको,
धड़कन की तरह दिल में बसा लूँ तुझ को|
कोई एहसास जुदाई का न रह पाये,
इस तरह खुद में मेरी जान छुपा लूँ तुझको|
तू जो रूठ जाये मुझ से मेरे दिल की मालिक,
सारी दुनिया से खफा हो कर मना लूँ तुझको|
जब मैं देखूं तेरे चेहरे पे उदासी का समा,
बस यह चाहूँ किसी तरह हंसा लूँ तुझको|
तू कभी जब दुनिया से बेज़ार हो जाये ,
दिल यह चाहे की बाहों में छुपा लूँ तुझ को|

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