जब हौसला बना लिया ऊँची उड़ान का,
फिर देखना फिज़ूल है कद आसमान का।
पंख नही तो गम नही इस अज़ाब का,
हौसले से संभव है सफर आसमान का।
तेज आँधी आयेंगी राहों में तेरी,
सफर मत छोड़ना तू इस जहान का।
इस हाल में मरने की दुआ न करना,
तब तक उड़ना है तुझे,
जब तक उड़ न ले तू कोना कोना आसमान का।
जिस हाल में तू उड़ रहा है उड़ता जा,
एक दिन तेरा कद वहाँ होगा,
जहाँ आखिरी छोर है आसमान का।
तब सारा जहान तेरे कदमों में होगा,
तब तू पंख के बिना भी उड़ान भर रहा होगा।
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- ब्रिजेश विश्वकर्मा
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