Tuesday 17 July 2018

क्यों औरत का मान भंग करता जाता है?

जब तू पैदा हुआ था,
एक औरत के लहू से तू लिपटा हुआ था।
अब तेरी हवस के लिए,
एक औरत लहू से लिपटी हुई है।
जन्मा तू औरत की योनि से,
उसका ही स्तनपान किया।
अपनी हवस के लिए,
इन्हीं अंगो का तूने ना मान किया।
घृणा को तूने अंजाम दिया,
इन अंगो को पाने में जब तू नाकाम हुआ।
स्त्री को मर्यादा का पाठ पढ़ाया,
फिर बलात्कार और हत्या करके,
वाह रे पुरुष,
तूने मर्दाना का बहुत बढ़िया जौहर दिखाया।
विध्वंश होना चाहिए,
तेरे अश्लीलता युक्त विचारों का।
अरे ओ पुरुष-
क्यों खुद को पुरुष कहलाता है,
हर वक्त तो तू औरत के आबरू पर नजरें गड़ाता है।
वह भी तो एक औरत थी,
जिसने जन्मा तुझे।
बड़े होकर यह बात क्यों भूल जाता है,
क्यों बार-बार औरत का मान भंग करता जाता है?
क्यों बार-बार औरत का मान भंग करता जाता है?

Written by :
Brijesh Vishwakrma

15 comments:

  1. बहुत अच्छी कविता है भैया

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  2. ब्रजेश आपने मन मोह लिया मेरे भाई

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  3. ब्रजेश आपने मन मोह लिया मेरे भाई

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  4. bhot hi sunder nd heart-touching kavita hai bhaiya..depicting the truth

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  5. яιgнт внαιуα. .....

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