जब तू पैदा हुआ था,
एक औरत के लहू से तू लिपटा हुआ था।
अब तेरी हवस के लिए,
एक औरत लहू से लिपटी हुई है।
जन्मा तू औरत की योनि से,
उसका ही स्तनपान किया।
अपनी हवस के लिए,
इन्हीं अंगो का तूने ना मान किया।
घृणा को तूने अंजाम दिया,
इन अंगो को पाने में जब तू नाकाम हुआ।
स्त्री को मर्यादा का पाठ पढ़ाया,
फिर बलात्कार और हत्या करके,
वाह रे पुरुष,
तूने मर्दाना का बहुत बढ़िया जौहर दिखाया।
विध्वंश होना चाहिए,
तेरे अश्लीलता युक्त विचारों का।
अरे ओ पुरुष-
क्यों खुद को पुरुष कहलाता है,
हर वक्त तो तू औरत के आबरू पर नजरें गड़ाता है।
वह भी तो एक औरत थी,
जिसने जन्मा तुझे।
बड़े होकर यह बात क्यों भूल जाता है,
क्यों बार-बार औरत का मान भंग करता जाता है?
क्यों बार-बार औरत का मान भंग करता जाता है?
Written by :
Brijesh Vishwakrma
एक औरत के लहू से तू लिपटा हुआ था।
अब तेरी हवस के लिए,
एक औरत लहू से लिपटी हुई है।
जन्मा तू औरत की योनि से,
उसका ही स्तनपान किया।
अपनी हवस के लिए,
इन्हीं अंगो का तूने ना मान किया।
घृणा को तूने अंजाम दिया,
इन अंगो को पाने में जब तू नाकाम हुआ।
स्त्री को मर्यादा का पाठ पढ़ाया,
फिर बलात्कार और हत्या करके,
वाह रे पुरुष,
तूने मर्दाना का बहुत बढ़िया जौहर दिखाया।
विध्वंश होना चाहिए,
तेरे अश्लीलता युक्त विचारों का।
अरे ओ पुरुष-
क्यों खुद को पुरुष कहलाता है,
हर वक्त तो तू औरत के आबरू पर नजरें गड़ाता है।
वह भी तो एक औरत थी,
जिसने जन्मा तुझे।
बड़े होकर यह बात क्यों भूल जाता है,
क्यों बार-बार औरत का मान भंग करता जाता है?
क्यों बार-बार औरत का मान भंग करता जाता है?
Written by :
Brijesh Vishwakrma
Bahut khoib
ReplyDeleteThanku
Deleteबहुत अच्छी कविता है भैया
ReplyDeleteब्रजेश आपने मन मोह लिया मेरे भाई
ReplyDeleteThanku so much Bhaiya
Deleteब्रजेश आपने मन मोह लिया मेरे भाई
ReplyDeleteThanku so much Bhaiya
Deletebhot hi sunder nd heart-touching kavita hai bhaiya..depicting the truth
ReplyDeleteThanku so much😊
Deleteяιgнт внαιуα. .....
ReplyDeleteThanku 😊
DeleteVery touching lines.
ReplyDeleteThanku Nandan Ji
DeleteNYC bhaiya
DeleteThanku 😊
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