Thursday 28 June 2018

हम सोचते ही रह गए और प्यार हो गया

Written by : 
Brijesh Vishwakarma

उस लड़के से मिलने से पहले मेरे जीवन में कुछ खोखलापन सा था, एक अजीब सा खालीपन था| जिसे आजतक मेरे अलावा किसी ने महसूस  नहीं किया था क्योंकि मैं स्वभाव से बहुत भोली थी| इस कारण मैं कॉलेज और घर में लोगों से थोडा दूर रहती थी| इसके बावजूद कि मैं बहुत कम बोलती थी, मेरे जीवन का एक दूसरा पहलू भी था और जीवन के उस हिस्से में आने की इजाजत मैंने किसी को नहीं दी थी, बाहर से खुश दिखाई देने वाली लड़की जिसे लोग हर पल हसंते-खिलखिलाते देखते थे, उसके बारे में ये अंदाजा तक नहीं लगाया जा सकता था कि वो अंदर से इतनी अकेली होगी|
ढेर सारे दर्द अपने भीतर समेटे हुए होगी मैं खुश होने का दिखावा तो करती थी, लेकिन अंदर से खुश नहीं थी| बस एक मुखौटा पहनकर जिंदगी बिताये जा रही थी, मैंने अपने आस-पास एक घेरा सा बना लिया था कोई भी मेरे द्वारा बनाए गए दायरों को नहीं तोड़ सकता था|
मुझे इस बात पर यकिन नहीं हो रहा था कि वो लड़का मेरे बनाए गए दायरों को तोड़कर मेरी सोच में समाता चला जा रहा है| शुरू-शुरू में उससे बात करना महज एक औपचारिकता थी सहपाठी होने की वजह से मेरी और उसकी अक्सर थोड़ी-बहुत बातचीत होती रहती थी| लेकिन मुझे इस बात का इल्म तक नहीं था कि वो मुझे मन ही मन पसंद करता था, मुझसे दीवानों की तरह प्यार करता था|
ये अलग बात थी कि आज तक उसने इस बात को मेरे सामने कभी जाहिर नहीं होने दिया था|
मुझे छोटी से छोटी तकलीफ होने पर, उसे मुझसे ज्यादा दर्द होता था| कोई ऐसे भी किसी को चाह सकता है यकीन करने में बहुत वक्त लगा| लेकिन समय के साथ मुझे इस बात का एहसास  हो गया कि ये लड़का मेरी चिंता करता है, मेरा ख्याल रखता है, उसके प्यार में पागलपन था|
मेरी ख़ुशी के लिए वो कुछ भी कर देता था| उस लड़के ने  बिना इस बात का जिक्र किये कि उसे मुझसे बातें करना अच्छा  लगता है, मेरे साथ वक्त बिताना अच्छा लगता है, बड़ी ही चालाकी से मुझसे दोस्ती के लिए पूछा उस दिन हम दोनों मिलने वाले थे|
‘’ उसने पूछा क्या मैं तुम्हारा हाथ पकड़ सकता हूँ |‘’
पहले तो मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ कि आज इस लड़के को क्या हो गया है ये इस तरह की बातें क्यों कर रहा है|
लेकिन मुझे उसपर पूरा  भरोसा था कि वो कोई गलत काम नहीं करेगा, उसकी आँखों में सच्चाई थी और ये बात मैं साफ़-साफ़ देख सकती थी| उसने इतनी Honestly मेरा हाथ माँगा  कि मैं उसे मना नहीं कर पाई और मैंने उसे अपना हाथ दे दिया. उसने मेरा हाथ अपने हाथों में लिया और कहा, क्या तुम मेरी हमसफ़र बनोगी तुम मुझे अच्छी लगती हो और मैं तुममें एक अच्छा हमसफ़र देखता हूँ, अच्छा इंसान देखता हूँ और मैं चाहता हूँ कि मैं जिंदगी भर तुम्हारा दोस्त बनकर तुम्हारा साथ निभाऊं|’’
उसने इतनी ईमानदारी से अपनी इस बात को मेरे सामने रखा कि मैं ना नहीं कर पाई और मैंने हाँ कर दिया|
उस दिन उसने बस इतना हीं कहा और चला गया| मुझसे दोस्ती करने की खुशी मैं साफ़-साफ़ उसके चेहरे पर देख सकती थी, मुझे ये सोच कर दिन भर बहुत हंसी आ रही कि किस तरह से डरते-डरते उसने मेरा हाथ पकड़ा था|
मैं अच्छी तरह से उसकी कांपती हाथों को महसूस कर सकती थी, और पूरे दिन उस वाक्ये को याद करके मुझे हंसी आ रही थी, मैं अकेले में भी बिना बात के हँसे जा रही थी|
मेरे आस-पास रहने वाले लोग ये देख कर समझ गए थे कि जरुर कोई बात है इस लड़की को कुछ तो होने लगा है| अब हम दोनो दोस्त बन गए थे और उसने किसी भी वक्त फोन पर बात करने की इजाजत मांग ली थी| अब उससे बात करना मुझे भी अच्छा लगने लगा था, मेरे अंदर क्या चल रहा था मुझे समझ में नहीं आ रहा था|
क्यों मैं उसके फोन का इंतज़ार करने लगी थी ?
न जाने क्यों मैं उसकी ओर खिंची चली जा रही थी ?
क्यों अब हर पल मेरा दिल उसका साथ चाहता था, न जाने क्यों मैं अब खुली आँखों से भी उसी के सपने देखने लगी थी|
क्यों मैं अब दिन-रात उसी से बातें करना चाहती थी?
अब  उससे अपनी बातें share करना मुझे अच्छा लगने लगा था?
जब भी मैं उदास होती किसी को पता चले ना
चले उसे पता चल जाता था, चाहे वह मेरे सामने हो या न हो| और वह मेरी उदासी को दूर करने का हर संभव प्रयास करता था मुझे खुद पर गर्व होने लगा था|
एक दिन उसने मुझसे I Love You कहा, मुझे वक्त लगा… लेकिन मैंने भी अपने प्यार का इजहार कर दिया| मुझे भी अपनी जिंदगी में प्यार का इंतजार था, मैं भी प्यार को हर पल जीना चाहती थी|
आगे क्या होगा इसकी चिंता न उसे थी, न मुझे. हम दोनों का सारा समय एक-दूसरे के साथ बीतने लगा|
हम दोनों एक-दूसरे का साथ पाकर मानो पूरी दुनिया से कट गए थे, मैं कह सकती हूँ, उसके साथ बिताये गए एक-एक पल मुझे हमेशा याद रहेंगे|
मैं कितनी खूबसूरत थी, ये उसने हीं बताया था|
मेरी जुल्फें उसे बहुत खूबसूरत लगती थी|
मेरी कमियाँ भी उसे मेरी खूबी लगती थी|
मेरे हर खुशियों पर मुझसे ज्यादा खुश होना,वो दीवाना था मेरा| उसने भी मुझे अपना दीवाना बना लिया था|
उसकी पूरी दुनिया बन गई थी मैं
मेरे लिए किसी से पंगा लेने से पहले बिल्कुल नहीं सोचता था वो!
दिन तेजी से बीतने लगे, हम दोनों दुनिया को भूल चुके थे, प्यार के उस दौर ने हम दोनों को भीतर से बदल दिया था| हमने प्यार की
ढ़ेरों कसमें खाई, और ढ़ेरों वादे किए| हम दोनों प्यार के इस दौर को जी भर कर जी लेना चाहते हैं|
       
ब्रिजेश विश्वकर्मा

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