Tuesday 7 August 2018

माँ तुझको अब में ढूंढ ना पाया

Written By :
Brijesh Vishwakarma

विविध धुनों में कितना गाया,
हर धुन में माँ तुझको पाया।
लोरी गा तूने मुझे सुलाया,
रात में जब माँ चंदा आया।
भूख ने जब माँ मुझे सताया,
तूने अमृतपान कराया।
उंगली पकड़ जब चलना सिखाया,
दौड़ के माँ तुझे गले लगाया।
जब भी माँ मैने ठोकर खाया,
थाम हाथ तूने मुझे उठाया।
मेरी हर गलती को छुपाया,
हर पल तुझको पास है पाया।
दुनिया ने मुझको ठुकराया,
माँ ने मुझको गले लगाया।
लुका छुपी का खेल सिखाया,
हर पल माँ तुझे मैने पाया।
कुदरत ने ऐसा खेल खिलाया,
माँ तुझको अब में ढूंढ ना पाया।
इस लुका छुपी में तूने मुझे हराया,
माँ तुझको अब में ढूंढ ना पाया।
माँ तुझको अब में ढूंढ ना पाया।

15 comments:

  1. Replies
    1. आभार गुरुदेव😊
      Guru Ji Galtiya bhi Bata Diya kro kbhi kbhi

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